प्रदेश में केवल 49 प्रतिशत आबादी को दोनों टीके लग चुके हैं, जबकि टीका है सुरक्षा कवच
रायपुर। विश्व में तीसरे लहर की आशंका है। कोरोना के नए स्वरूप ओमिक्रॉन को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है। ऐसे में सुरक्षा कवच के रूप में टीकाकरण ही एक विकल्प दिख रहा है। छत्तीसगढ़ प्रदेश टीकाकरण के दूसरे खुराक में देश में अब तक की स्थिति के आंकड़े में कमजोर साबित हुआ है। इसलिए छत्तीसगढ़ में टीकाकरण की रफ्तार बढ़ाई जा रही है। इसके लिए नए-नए विकल्प तलाश किए जा रहे हैं।
अब प्रदेश में टीकाकरण की रफ्तार बढ़ाने के लिए धान खरीदी केन्द्रों में भी कोरोना टीकाकरण किया जा रहा है। पहले डोज के तहत प्रदेश में टीकाकरण के लिए पात्र 90 प्रतिशत आबादी को इसका टीका लगाया जा चुका है। केवल 49 प्रतिशत आबादी को दोनों टीके लग चुके हैं।
मुख्य सचिव नेे कलेक्टरों के दिए निर्देश
मुख्य सचिव अमिताभ जैन ने कोरोना टीकाकरण का शत-प्रतिशत लक्ष्य जल्द हासिल करने के लिए कलेक्टरों के साथ 30 नवंबर को हुई ऑनलाइन बैठक में धान खरीदी केन्द्रों में भी कोरोना टीकाकरण की व्यवस्था के निर्देश दिए थे। इसी के तहत पहली की जा रही है।
सभी केंद्रों में होगी टीके की सुविधा
छत्तीसगढ़ में धान खरीदी की शुरूआत के पहले ही दिन एक दिसंबर को स्वास्थ्य विभाग की टीम ने उपार्जन केंद्रों में पहुंचकर लोगों को टीके लगाए। बिलासपुर, राजनांदगांव और बेमेतरा के बाद जल्दी ही प्रदेश के सभी जिलों के धान खरीदी केंद्रों में कोरोना टीकाकरण के लिए टीम पहुंचेगी।
अब तक दोनों टीके दो करोड़ 72 लाख लोग लगाए
रिकॉर्ड के अनुसार प्रदेश के एक करोड़ 77 लाख 13 हजार 825 नागरिकों को कोरोना वैक्सीन की पहली खुराक लगाई जा चुकी है। वहीं 95 लाख 58 हजार 124 लोगों को दोनों टीके लगाए जा चुके हैं। पहली और दूसरी, दोनों खुराकों को मिलाकर प्रदेश में अब तक (1 दिसंबर तक) कोरोना से बचाव के लिए दो करोड़ 72 लाख 71 हजार 949 टीके लगाए जा चुके हैं। धान खरीदी केंद्रों में टीकाकरण की शुरूआत के बाद प्रदेश में कोरोना वैक्सीनेशन को और गति मिलेगी। इससे प्रदेश में शत-प्रतिशत टीकाकरण का लक्ष्य शीघ्र हासिल करने में सहायता मिलेगी।
पूरे देश में झारखंड की स्थिति सबसे खराब
बता दें कि हिमाचल प्रदेश और गोवा जैसे राज्य तो दूसरी खुराक उपलब्ध कराने के मामले में शत-प्रतिशत लक्ष्य हासिल करने के बेहद करीब हैं। वहीं झारखंड की स्थिति सबसे खराब है। छत्तीसगढ़ में पहली खुराक की स्थिति 88.2 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है, लेकिन दूसरी खुराक लेने वालों की स्थिति काफी कमजोर है। केवल 47.2 प्रतिशत लोगों ने ही दूसरी खुराक ले पाए हैं। ऐसे में अब तक दो लहर झेल चुके देश में तीसरी लहर का खतरा बरकरार है।
इसलिए केंद्र की बढ़ी चिंता
कोरोना के नए स्वरूप ओमिक्रॉन के बढ़ते खतरे के बीच विपक्षशासित राज्यों में टीकाकरण की धीमी रफ्तार चिंता बढ़ा रही है। टीकाकरण अभियान में विपक्ष शासित राज्य भाजपा शासित राज्यों के मुकाबले कहीं ठहरते नहीं दिखते।
क्यों चिंतित है सरकार
अब तक दो लहर झेल चुके देश में तीसरी लहर का खतरा बरकरार है। अगर तीसरी लहर आई तो विपक्ष शासित राज्यों में टीकाकरण की सुस्त रफ्तार से स्थिति विकट हो सकती है। खासतौर पर कोरोना के नए स्वरूप ओमिक्रॉन के सामने आने के बाद सरकार में हलचल है।
मांग के अनुरूप टीके उपलब्ध
खुद प्रधानमंत्री ने बैठक कर इसके प्रति राज्यों को आगाह किया है। सरकार ने कई बार कहा है कि देश में टीके की उपलब्धता की कमी जैसा कोई मामला नहीं है। राज्यों को मांग के अनुरूप टीके उपलब्ध कराए जा रहे हैं।