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अच्छी सेवाओं के लिए भिलाई के स्पर्श अस्पताल को मिली NABH की मान्यता, दुर्ग जिले में किसी और को नहीं है NABH की मान्यता

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नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल्स  योजना, सामान्य नीति, संविधान तैयार करने और QCI मानकों को नियंत्रित करने के लिए उत्तरदायी है।

रायपुर। मरीजों की अच्छी सेवा और गुणवत्ता में सुधार के लिए भिलाई के स्पर्श अस्पताल को नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल्स  (NABH) से मान्यता मिल गई है। बतादें कि अस्पतालों के लिए नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल्स  मरीजों की देखभाल की गुणवत्ता और अस्पतालों के लिए गुणवत्ता में सुधार के लिए एक रूपरेखा प्रदान करता हैं। मानक सभी स्तरों पर एक गुणवत्ता संस्कृति बनाने और अस्पताल के कर्तव्यों को पूरा करने में मदद करता हैं। पूर्ण NABH मानकों में 102 मानक और 636 उद्देश्य तत्व शामिल हैं।  नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल्स अस्पतालों और स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं के लिए राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड के लिए क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया का एक सलाहकार बोर्ड। इस बोर्ड की स्थापना का उद्देश्य भारत में स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं की गुणवत्ता और मानक तय करना है।  

अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. एपी सावंत ने कहा कि NABH द्वारा मान्यता देना इस बात का प्रमाण है कि अस्पताल अपने मरीजों को  गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं दे रहा है। अस्पताल में सरकार द्वारा तय पैमानों को पूरा किया जाता है। श्रेष्ठ सेवायें देने के लिए अपनी प्रतिबद्धता और समर्पण के चलते ही स्पर्श 9 साल में ही क्षेत्र का विश्वसनीय अस्पताल बन गया है।

क्या है NABH
वर्ष 2005 में स्थापित की गई हॉस्पिटल्स एंड हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स के लिए राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड, एक स्वतंत्र निकाय प्रशासित गुणवत्ता परिषद है। नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल्स  योजना, सामान्य नीति, संविधान तैयार करने और QCI मानकों को नियंत्रित करने के लिए उत्तरदायी है। एनएबीएच मानक गुणवत्ता समर्थन और गुणवत्ता प्राधिकरण और गुणवत्ता विकास के लिए एक रूपरेखा देती हैं। जो राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मानकों के आधार पर रोगियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करती हैं।

पांच चरणों में होती है एनएबीएच प्रत्यायन प्रक्रिया
पहले चरण में आवेदन जमा करना होता है। स्वास्थ्य केंद्र को प्रोत्साहित उपयोगिता फॉर्म के भीतर एनएबीएच का पालन करना होता है। दूसरे चरण में एनएबीएच चालक दल द्वारा आवेदन की समीक्षा की जाती है। तीसरे चरण में पूर्व-मूल्यांकन होता है। चौथे चरण में अंतिम मूल्यांकन होता है। इसमें पूर्व-मूल्यांकन के दौरान इंगित की गई अपरंपरागतता के लिए महत्वपूर्ण सुधारात्मक कार्रवाई करने के लिए आवेदक सेनेटोरियम अनिवार्य होता है। अंतिम और पांचवे चरण में  निगरानी और पुनर्मूल्यांकन होता है। जिसके बाद एनएबीएच प्रत्यायन प्रक्रिया की मान्यता मिलती है।
(TNS)

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