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आरबीआई ने किया बड़ा ऐलान, अब यूपीआई से मिलेगा चुटकियों में लोन

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सिंगापुर, फ्रांस और न्यूजीलैंड जैसे देशों में यूपीआई को लेकर डील हो चुकी है। 1 सितंबर 2023 को नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के अनुसार UPI ने अगस्त में पहली बार एक महीने में 10 बिलियन ट्रांजेक्शन के आंकड़े को पार कर लिया है। अब इस पर लोन भी मिलेगा और वह भी चुटकियों में।

NEW DELHI. भारत के ऑनलाइन पेमेंट सिस्टम यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस यानी यूपीआई एक के बाद एक नए कीर्तिमान रच रहा है। सिंगापुर, फ्रांस और न्यूजीलैंड जैसे देशों में यूपीआई को लेकर डील हो चुकी है। 1 सितंबर 2023 को नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के अनुसार UPI ने अगस्त में पहली बार एक महीने में 10 बिलियन ट्रांजेक्शन के आंकड़े को पार कर लिया है। अब इस पर लोन भी मिलेगा और वह भी चुटकियों में।

लिहाजा, अब लोन लेने के लिए आपको बैंक के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं होगी। आपको यूपीआई से ही लोन की सुविधा मिल जाएगी क्योंकि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी आरबीआई ने ऐसा करने के लिए बैंकों को दिशा-निर्देश दे दिए हैं। आरबीआई ने देश के सभी बैंकों से कस्टमर्स को यूपीआई पर प्री-सैंक्शंड लोन देने को कहा है।

आरबीआई के इस फैसले का प्रमुख उद्देश्य यूपीआई पेमेंट सिस्टम के दायरे को बढ़ाना है। गौरतलब है कि 30 अगस्त में यूपीआई के जरिये 10.24 बिलियन ट्रांजेक्शन हुआ था, जिसकी वैल्यू 15.18 लाख करोड़ रुपये थी। जुलाई में यूपीआई प्लेटफॉर्म पर 9.96 अरब ट्रांजेक्शन हुए थे। अगस्त महीने के दौरान, UPI से प्रतिदिन लगभग 330 मिलियन ट्रांजेक्शन हुए थे।

आरबीआई ने कहा कि मौजूदा समय में सेविंग अकाउंट, ओवरड्राफ्ट अकाउंट, प्रीपेड वॉलेट और क्रेडिट कार्ड को यूपीआई से जोड़कर इसके दायरे को और भी बढ़ाया जा रहा है। इस प्रक्रिया को शुरू करने से पहले सभी बैंकों को पॉलिसी बनाकर अपने बोर्ड से अप्रूवल लेना होगा।

इस पॉलिसी में बैंकों को यह तय करना होगा कि यूजर को कितना कर्ज दिया जा सकता है। किन लोगों को यह प्री अप्रूव्ड लोन मिलेगा और उसका समय कितना होगा। साथ ही लोन के बदले कितना ब्याज लगाया जाएगा, इसे भी पहले से तय किया जाएगा।

इस सब बातों पर बोर्ड की मंजूरी मिलने के बाद लोन देने का प्रोसेस शुरू किया जाएगा। 6 अप्रैल को केंद्रीय बैंक ने अपनी मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग के दौरान बैंकों की ओर से प्री-अप्रूव्ड क्रेडिट लाइनों के ट्रांसफर के माध्यम से भुगतान की अनुमति देने का प्रस्ताव रखा था। इसका उद्देश्य यूपीआई का दायरा बढ़ाना था।

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