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समाज

बीजापुर. एक कहावत है कि कुछ लोग अपने दु:ख से ज्यादा दूसरों की खुशी देख दु:खी होते हैं. छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के बीजापुर में इन दिनों कुछ ऐसा ही देखने को मिला. सीमावर्ती जिले बीजापुर में कुछ दिन पहले ही एक शाही शादी हुई. बीजापुर के ही रहने वाले पेशे से ठेकेदार सुरेश चन्द्राकर की शादी में हुए खर्च को लेकर अपने-अपने अनुमान लगाए जा रहे हैं.  तरह-तरह के तर्क और वितर्क शादी समारोह के भव्य आयोजन को लेकर हो रहे हैं.  कई ऐसे लोग हैं, जिन्हें विवाह समारोह के भव्य आयोजन से तकलीफ है. एक मीडिया संस्थान ने शादी में हुए खर्च पर सवाल खड़े हुए कई खबरें प्रकाशित की हैं.

इस कथित राष्ट्रीय दैनिक अखबार ने सुरेश के विवाह को लेकर जैसे शीर्षकों से खबरें धारा प्रवाह प्रकाशित की, उसपर ही अब सवाल उठने लगे हैं. एक खबर की हेडिंग की भाषा तो अंचभित करती है.. अखबार ने 'खानसामे की शादी में यूक्रेन और रसिया से बुलाई गईं नचनिया' एक खबर प्रकाशित की. खबरों में सूत्रों का हवाला देते हुए तथ्यहीन आरोप लगाए गए, मसलन 'सुरेश एक समय दस-दस रुपये उधार मांग जुआ खेलता था' इन खबरों ने सवाल खड़े करने वाली मीडिया की विश्वसनीयता पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं.

दरअसल सुरेश के विवाह पर नजरें तरेरी करने की बड़ी वजह विवाह समारोह की भव्यता ही है, लेक़िन इस ठाठ बांट पर खर्च के आंकलन पर कुछ का आंकलन अनुमान से ज्यादा ही बैठ रहा है, जो हास्यप्रद भी है. जिस तरह की बयानबाजी युक्त खबरें कथित अखबार में छपी है, स्वयं प्रकाशक/सम्पादक को विचार करने की आवश्यकता है कि वाकई खबरे तथ्यपूर्ण हैं? दरअसल जिस शादी को शाही कहते बेहिसाब खर्चे वाली और सुरेश चन्द्राकर की आय को लेकर संशय/शंका जाहिर करने का प्रयास किया गया है, वह ना सिर्फ दुखद बल्कि पत्रकारिता की प्रतिष्ठित गरिमा को भी तार-तार करती नजर आ रही है. अगर सुरेश अकूत , बेहिसाब सम्पत्ति के मालिक हैं तो दूसरी तरफ आयकर की निगरानी में भी है. अगर वे अकूत काले धन के स्वामी हैं तो सार्वजनिक तौर पर ऐसी भव्य शादी का आयोजन करने की हिम्मत कैसे जुटाते?
जहाँ तक मैं उन्हें काफी नजदीक से जानता हूं, वे एक समाज के प्रतिष्ठित पद पर हैं, उन पर समाज की प्रतिष्ठा बनाये रखने का दारोमदार भी है. सुरेश एक साधारण बेरोजगार युवा ही थे. खुद को बड़े मुकाम पर देखने और युवाओं की तरह उनकी आंखों में भी सपने पल रहे थे. मगर समय ने उनका साथ दिया, वक्त बदला और ठेकेदारी के पेशे में एक छोटी शुरुआत आगे चलकर यह तरक्की की सीढ़ियां साबित हुई, जिस पर चढ़ते सुरेश ने एक बड़ा नाम और मुकाम हासिल किया. शादी समारोह से चर्चा में आये सुरेश की तरक्की यकीनन कथितों को खटके, जिन्होंने कभी उस संघर्ष को जिया ही ना हो.

खैर जो आरोप सुरेश पर लग रहे हैं, उस पर सुरेश की दो टूक ने आलोचना करने वालों की जुबान पर ताला ही लगा दिया है.."तथ्य, प्रमाण हीन" खबरों से नहीं, तथ्य, प्रमाण के साथ सामने आए. वैसे सुरेश ने अपने ऊपर लग रहे आरोपों पर सफाई देने की जगह न्याय व्यवस्था पर आस्था जताते मानहानि का मुकदमा करने की ठान ली है. इधर महार समाज भी अब सुरेश के समर्थन में खुलकर आ गया है. कथित अखबार को समाज ने हिदायत देते खण्डन व खेद व्यक्त करने को कहा है.

बहरहाल सुरेश ने अपने जीवन में कई उतार चढ़ाव देखे हैं. एक छोटे से गांव-कस्बे से निकलकर तरक्की करने वाले सुरेश का भव्य विवाह कुछ विशिष्टजनों से लेकर कथित दैनिक समाचार पत्र को रास नहीं आ रहा है. इस पूरे प्रकरण में अखबार ने प्रशासनिक व्यवस्था को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है. क्योंकि अगर भ्रष्टाचार कर की गई कमाई से ऐसे भव्य आयोजन हो रहे हैं तो प्रशासन क्या कर रहा है? सवाल करने वालों को इस बात के तथ्य भी सामने रखने चाहिए कि लाखों रुपयों की गाड़ी और शाही शादी करने वाला शख्स आयकर विभाग की नजर में क्यों नहीं है? मीडिया द्वारा कटघरे में खड़ा किया गया सुरेश चन्द्राकर टैक्स पेयर है या नहीं और अगर टैक्स पेयर है तो कितने का? 

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